क्या आपको भयानक खांसी है जिसका कोई भी निदान या उपचार नहीं कर पा रहा है ?
सावधान: आपको काली खांसी हो सकती है !
Doesn’t sound scary to you?
आज के इस लेख में आपको भयंकर काली खांसी (Whooping Cough) से जुडी समस्या और इससे घरेलु नुस्खों द्वारा छुटकारा कैसे पा सकते हैं जैसी सभी जानकारियां मिल जाएँगी | लेकिन इस लेख को आपको आगे तक पढ़ना होगा |
तो इस लेख को पढ़ें और आपको पता चल जाएगा कि यह कितना भयानक है !
खुद के लिए नहीं तो कम से कम अपने नन्हे से बच्चे के लिए तो सोचिये और इस लेख को पढ़ कर इस बीमारी को समझे और बचने के उपाए जानिये !
आईये इस लेख के विषय की सूची से शुरआत करते है।
विषय सूची- List of Contents
# 1. काली खांसी क्या है ? What is Whooping Cough in Hindi ?
# 2. काली खांसी के क्या कारण है ? What are the causes of whooping Cough in Hindi ?
# 4. काली खांसी के लक्षण क्या हैं ? What are the symptoms of Whooping Cough in Hindi ?
# 6. काली खांसी की जटिलताएं क्या हैं ? What are the complications of Whooping Cough in Hindi ?
# 7. काली खांसी को कैसे रोक सकते हैं ? How to prevent Whooping cough in Hindi ?
#10. आपको डॉक्टर से मदद कब लेनी चाहिए ? When should you seek help from doctor in Hindi ?

1. काली खांसी क्या है ? What is Whooping Cough in Hindi ?
काली खांसी (Whooping Cough) एक छूत की बीमारी है। यह खाँसी की विशेषता है कि खांसते समय बीच बीच में हूप जैसी आवाज़ आती है। यह जीवन को खतरे में डाल सकती है और यदि इसे समय पर ना परखा जाए या इसका इलाज ना किया जाये तो जान भी गवानी पड सकती है।
यह खतरनाक बीमारी एक बैक्टीरिया के संक्रमण से होती है जो आपकी नाक और गले में प्रवेश कर जाता है। और बहुत आसानी से फैलता है क्यूंकि यह अत्यंत संक्रामक है।
अगर आप अभी भी बूझ नहीं पाए है कि यह भयंकर बीमारी कौन सी है, तो हम फिर बता देते है कि इस बीमारी का नाम है- काली खांसी या व्हूपिंग कफ (Whooping Cough)।
जब खांसते हैं तो आप अपने बच्चे की सांस को हांफते हुए पाते हैं, तब आपके दिमाग में घंटी बजती है कि-क्या यह सर्दी जुकाम है या काली खांसी है ?
काली खांसी 2 से 6 सप्ताह तक खूब नाच नाचता है और हालत नाज़ुक बना देता है, और इसके बाद कई हफ्तों में धीरे-धीरे कम गंभीर होकर आपके शरीर से बाहर हो जाता है। और, ज़ाहिर है, किसी भी संख्या में खराब चीजें, सुस्त खांसी का कारण बन सकती हैं।
काली खांसी फेफड़ो और श्वास तंत्र का संक्रमण है। अंग्रेजी में इससे पर्टुसिस (Pertussis), हूपिंग कफ (Whooping Cough) या ब्लैक कफ (Black cough) के रूप में भी जाना जाता है, जो एक बैक्टीरिया के कारण होने वाली अत्यधिक संक्रामक बीमारी है।
यह आप पर हमला करके लगभग 6 सप्ताह की अवधि तक आपको तड़पाता है। यह बीमारी खांसी के बाद हवा की प्रेरणा से बनी “हूप” (Whoop) ध्वनि से अपना नाम निकालती है।
यह लोगों द्वारा महसूस किए जाने की तुलना में बहुत आम है क्योंकि इससे पहचानने में चूक हो जाती है या लोगो में आधी ही जानकारी है। डॉक्टरों के लिए इसका निदान करना बहुत मुश्किल है इसीलिए यह एक भयानक और संक्रामक खांसी का रूप ले लेती है।
यह मुख्य रूप से 6 महीने से छोटे बच्चों को प्रभावित करता है जिनका शरीर इससे लड़ नहीं सकता हैं, और 11 से 18 साल के बच्चे जिनके शरीर के लड़ने की क्षमता फीकी पड़ने लगी है। इसका मतलब यह है कि बीमारी विशेष रूप से बड़े और छोटे बच्चों दोनों में खतरनाक रूप ले सकती है |
काली खाँसी के कारण गंभीर खाँसी होती है, जो कभी-कभी बच्चे के साँस लेने पर “हूपिंग” ध्वनि में समाप्त हो सकती है। यह रक्त की ऑक्सीजन की मात्रा को कम कर सकता है और निमोनिया जैसी अन्य समस्याओं को जन्म दे सकता है।
इसीलिए इसका सही ढंग से निदान करने में हम हर संभव मदद करते है ताकि आपको विशवास हो सके कि आपको खांसी है या काली खांसी।
वैक्सीन उपलब्ध होने से पहले, काली खांसी के कारण प्रति वर्ष 5,000 से 10,000 लोग मारे जाते थे। पर काली खांसी के टीके या वैक्सीन से मौतों की वार्षिक संख्या 30 से कम हो गई है।
लेकिन डरावनी तस्वीर यह है कि बहरहाल वर्षों में, काली खांसी के मामलों की संख्या बढ़ कर फिर से 25,000 तक पहुंच गयी है। और अगर अभी भी आपके लिए यह सब भयावह नहीं है तो यह जान ले कि काली खांसी मुख्य रूप से 6 महीने से कम उम्र के शिशुओं को अपना शिकार बनाती है, और उनकी अंदरूनी ताक़त और इम्युनिटी को फीका कर देती है यह बिमारी।
2. काली खांसी के क्या कारण है ? What are the causes of whooping Cough in Hindi ?
i . बैक्टीरिया से : यह बीमारी बोर्डेटेला पर्टुसिस (Bordetella pertussis) नामक बैक्टीरिया के कारण होती है। यह एक अत्यधिक संक्रामक बीमारी है, जो फेफड़ों को प्रभावित करती है।
यह शरीर के वायुमार्ग में बनने वाले मोटे बलगम को बड़ा देती है जो खांसी का कारण बन जाता है। खांसी आमतौर पर एक से छह सप्ताह या उससे अधिक तक रहती है।
ii. संक्रमित व्यक्ति से:- यह एक अत्यधिक संक्रामक बीमारी है। यह एक पीड़ित व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में निकट संपर्क में आने से, खांसने से या छींकने से यहां तक कि हसने से भी फैलता है। जिन लोगों को खांसी होती है, वे बीमारी के पहले दो हफ्तों के दौरान सबसे अधिक संक्रामक होते हैं।

कई बार बिमारी का पता चलने से पहले ही, वे दूसरे व्यक्ति को बिमारी भेंट कर चुके होते हैं।
लक्षण आमतौर पर एक्सपोजर (exposure) के बाद पांच से 10 दिनों के भीतर विकसित होते हैं, लेकिन कभी-कभी तीन सप्ताह तक भी नहीं होते।
3. खांसी और काली खांसी में क्या अंतर है ? What is the difference between cough and Whooping Cough in Hindi ?

खांसी आमतौर पर गले में किसी भी विदेशी पदार्थ या बलगम को निकालने के लिए एक रिफ्लेक्स एक्शन होती है जो केवल कुछ समय तक रहती है।
लेकिन काली खांसी में विशेष तौर पर खाँसी, फेफड़ों के खाली होने तक निरंतर कई मिनटों तक होती रहे और आमतौर पर एक whooping ध्वनि पैदा होती है जब व्यक्ति साँस लेने की कोशिश करता है।
रोग की प्रगति और गंभीरता के आधार पर काली खांसी को तीन चरणों में विभाजित किया जा सकता है।
स्टेज 1: यह शुरुआती चरण है जो 1 से 2 सप्ताह तक चल सकता है। बैक्टीरिया बलगम को भड़काते और बढ़ाते हैं। इस स्तर पर, रोगी अत्यधिक संक्रामक होते हैं।
स्टेज 2: इस स्टेज में बीमारी तेज और भयानक रूप ले लेती है और मरीज इस अवस्था में गंभीर रूप से बीमार हो जाते हैं। वज़न का कम होना और शरीर में कमज़ोरी दिखाई देती है। यह अवस्था 2 से 6 सप्ताह तक हो सकती है।
स्टेज 3: यह रिकवरी चरण है और मरीज अब संक्रामक नहीं हैं। यह चरण कई हफ्तों से लेकर महीनों तक रह सकता है।
4. काली खांसी के लक्षण क्या हैं ? What are the symptoms of Whooping Cough in Hindi ?
बीमारी के साथ यह एक आम बात हैं कि खांसी के दौरान फिट बैठता है और बच्चों को अक्सर खाँसने के बीच एक काली या व्हूप जैसी आवाज आती है। यह आमतौर पर सर्दी के रूप में, बहती नाक, छींकने, हल्की खांसी और बुखार के साथ शुरू होता है।
कुछ हफ़्ते के बाद संक्रमित लोगों को गंभीर खाँसी के दौरे शुरू हो जाते हैं। ये अगले 6 सप्ताह तक रह सकते हैं। अक्सर खांसी रात के दौरान अधिक हो सकती है, उल्टी का कारण बन सकती है, और कुछ को इन हमलों के दौरान कुछ सेकंड के लिए साँस लेने में परेशानी हो सकती है।
खांसी के दौरान, एक व्यक्ति का चेहरा लाल हो सकता है और, अगर यह वास्तव में गंभीर चरण में है, तो होंठ या त्वचा बैंगनी या नीले रंग में बदल सकते हैं और खाँसी इतनी बुरी हो सकती है कि व्यक्ति को कमज़ोर कर सकती है और अस्पताल में भर्ती करवाने की नौबत भी आ सकती है।
प्रत्येक हमले में पीड़ित को लगता है जैसे वह घुट रहे हैं सांस लेने में बहुत तकलीफ होती है। ये चोकिंग के हमले दिन में औसतन एक दर्जन बार होते हैं। यह आमतौर पर रात में और भी बदतर हो जाता है।

प्रत्येक हमले में पीड़ित को लगता है जैसे वह घुट रहे हैं सांस लेने में बहुत तकलीफ होती है। ये चोकिंग के हमले दिन में औसतन एक दर्जन बार होते हैं। यह आमतौर पर रात में और भी बदतर हो जाता है।
स्टेज 1: शुरुवाती अवस्था में लक्षण आमतौर पर हल्के होते हैं और देखने में ठण्ड या सर्दी जैसे होते हैं। इस स्टेज के लक्षण इस प्रकार से है:
- बहती नाक
- नाक बंद
- छींक आना
- कम श्रेणी बुखार
- आंतरायिक तीव्र खांसी
- गीली आखें
स्टेज 2: इस चरण के लक्षण बदतर होते हैं।
- हूप (whoop) ध्वनि के साथ गंभीर खांसी
- सांस लेने मे तकलीफ
- थकान
- खांसी के बाद उल्टी होना
- ऑक्सीजन की कमी के कारण cyanosis (चेहरा नीला पड़ जाता है)
- वजन घटना
- बेहोशी
स्टेज 3: इस अवस्था में खांसी की तीव्रता (intensity) और आवृत्ति (frequency) कम हो जाती है। हालांकि, यदि रोगी इस चरण में एक द्वितीयक (secondary) संक्रमण विकसित करता है, तो लक्षण वापस आ सकते हैं।
शिशुओं में, लक्षण अलग-अलग होते हैं क्योंकि वे एक खाँसी विकसित नहीं कर सकते हैं। वे सांस लेना बंद कर सकते हैं, गैग या कभी-कभी दौरे पड़ सकते हैं।
5. काली खांसी होने का खतरा किससे सबसे ज़्यादा है ? Who are at high risk of having whooping Cough in Hindi ?
गन्दा पर्यावरणीय हालत, खराब स्वच्छता और भीड़-भाड़ वाली जगहों पर रहने वाले लोगों को संक्रमण की आशंका होती है।अन्य उच्च जोखिम वाली आबादी में शामिल हैं :-
- शिशुओं <6 महीने की उम्र (अविकसित प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण)
- अपरिपक्व शिशु (Premature babies)
- किशोर और युवा जिनका वैक्सीन खराब हो गया है (टीका निश्चित समय के बाद बंद हो जाती है, आम तौर पर 10 साल)
- जिन बच्चों ने टीकाकरण नहीं कराया था
- जो लोग संक्रमित व्यक्ति के निकट संपर्क में हैं
- गर्भवती महिला
6. काली खांसी की जटिलताएं क्या हैं ? What are the complications of Whooping Cough in Hindi ?
शिशु में जटिलता:– काली खांसी बच्चों में खतरनाक है, विशेष रूप से 6 महीने से कम उम्र के बच्चों में, क्योंकि यह पीड़ित को ऑक्सीजन प्राप्त करने से रोक सकता है जिनकी उन्हें ज़रूरत है। यह बहुत से अन्य मुश्किल एवं जोखिम पैदा कर सकता है, जिसमें –
- मस्तिष्क की क्षति
- मस्तिष्क में खून का बहना,
- न्यूमोनिया,
- दौरे,
- एपनिया (apnea) शामिल है।
किशोर में जटिलता:– किशोर में काली खाँसी के कारण निमोनिया हो सकता है। गंभीर खांसी भी पैदा कर सकती है। इसके अलावा –
- हर्निया
- टूटी हुई रक्त वाहिकाएँ (blood vessels)
- पसलियां में दर्द
- पेशाब करते समय नियंत्रित करने में परेशानी
- नींद का उड़ना और
- आक्षेप (Convulsions) भी शामिल है।
वयस्क में जटिलता: वयस्क (adults) खांसी से माध्यमिक जटिलताओं का विकास कर सकते हैं। हिंसक खाँसी, बेहोशी और यहाँ तक कि पसली टूट भी सकती है।
- अनिद्रा (सोते हुए या सोते रहने में कठिनाई)
- स्लीप एपनिया (सोते समय सांस लेने में कठिनाई)
- वजन कम होना
- न्यूमोनिया
- आंखों में संक्रमण।
7. काली खांसी को कैसे रोक सकते हैं ? How to prevent Whooping cough in Hindi ?
टीकाकरण- काली खांसी को रोकने के लिए टीकाकरण सबसे अच्छा उपाय है। DTaP काली खांसी के लिए उपलब्ध वैक्सीन है। यह टीका डिप्थीरिया (diphtheria), टेटनस (tetanus) और पर्टुसिस (pertussis) से सुरक्षा प्रदान करता है।
DTaP वैक्सीन बच्चों को काली खांसी से बचाने में मदद कर सकती है। पहले 6 महीनों के लिए शिशुओं को हर दूसरे महीने एक खुराक मिलनी चाहिए, 15 से 18 महीने के बीच, फिर 4 और 6 साल की उम्र के बीच।
बूस्टर- बड़े बच्चों और वयस्कों को हर 10 साल में Tdap वैक्सीन और एक बूस्टर की आवश्यकता होती है, क्योंकि समय के साथ टीका कमजोर हो सकता है। बच्चों के लिए इसे पाने की सबसे अच्छी उम्र 11 से 12 के बीच है।
जिन वयस्कों का कभी टीकाकरण नहीं हुआ था, वे इसे कभी भी प्राप्त कर सकते हैं। गर्भवती महिलाओं को अपने नवजात शिशु की सुरक्षा में मदद करने के लिए एक बूस्टर मिलना चाहिए।
खुराक अनुसूची:-
- पहली खुराक: 2 महीने पुरानी
- दूसरी खुराक: 4 महीने
- तीसरी खुराक: 6 महीने
- बूस्टर खुराक: 15 और 18 महीने
- रख रखाव खुराक: 4 और 6 साल
देखभाल करने के अन्य उपाय:
- खाना खाने से पहले हाथ धो कर और छींकते समय मुंह और नाक को ढक कर स्वच्छता बनाए रखें।
- फेफड़ों को मजबूत बनाने और सांस लेने में सुधार के लिए योग और व्यायाम का अभ्यास करें।
- एक उचित आहार का पालन करें जिसमें शरीर को जल्द ठीक होने के लिए आवश्यक सभी महत्वपूर्ण खनिज (minerals) और विटामिन शामिल हों।
- अधिक स्वास्थ्य जटिलताओं (complications) से बचने के लिए जितना संभव हो उतना सूखा और गर्म रहने की कोशिश करें।
- शरीर को तेजी से ठीक करने के लिए पर्याप्त मात्रा में आराम करें।
- धूल और पराग (pollens) जैसे एलर्जी से दूर रहें, इससे स्थिति और खराब हो सकती है।
- प्रोसेस्ड फूड से बचें।
- ताजे फल, दूध, अंडे और अदरक की चाय का सेवन करें।
- पर्याप्त पानी और फलों का रस पीकर शरीर को हाइड्रेटेड रखें। इससे गले में सूखापन दूर हो सकता है।
8. काली खांसी के लिए घरेलू उपचार क्या हैं ? What are the home remedies for Whooping Cough in Hindi ?
1.पेपरमिंट ऑयल
पेपरमिंट ऑयल में जीवाणुरोधी (anti-bacterial), एंटीसेप्टिक (antiseptic) और anti-spasmodic प्रभाव हैं। यह खांसी और उसके लक्षणों के उपचार में फायदेमंद साबित हो सकता है।
उपयोग की विधि
- पुदीने के तेल को अपनी पसंद के दूसरे तेल के साथ मिलाएं।
- इस मिश्रण को अपनी छाती और पीठ पर लगाएं।
- वैकल्पिक रूप से, आप गर्म पानी में पेपरमिंट तेल की एक बूंद भी डाल सकते हैं और भाप को साँस में ले सकते हैं।
2. नीलगिरी के तेल
नीलगिरी के तेल का उपयोग परंपरागत रूप से श्वसन तंत्र के विकारों के इलाज के लिए किया जाता है, जैसे ब्रोंकाइटिस (bronchitis) और साइनसिसिस (sinusitis)। इसलिए, यह काली खांसी के लक्षणों को दूर करने में मदद कर सकता है।
उपयोग की विधि
- नीलगिरी के तेल को किसी भी वाहक तेल के साथ मिलाएं।
- इस मिश्रण को अपनी छाती और पीठ पर लगाएं।
- आप कुछ गर्म पानी में नीलगिरी के तेल की एक बूंद भी डाल सकते हैं और भाप को साँस में ले सकते हैं। ऐसा दिन में दो बार करें।
3.प्याज
प्याज में एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं। यह काली खांसी के इलाज में मदद कर सकता है और समग्र प्रतिरक्षा में भी सुधार कर सकता है।
उपयोग की विधि
- प्याज को छीलकर छोटे टुकड़ों में काट लें।
- इन टुकड़ों को मैश करें और इसमें शहद मिलाएं।
- इस मिश्रण को रात भर लगा रहने दें।
- हर कुछ घंटों में इसका एक चम्मच सेवन करें। ऐसा दिन में कई बार करें।
4. विटामिन सी
विटामिन सी खांसी का इलाज करने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक है। 6 महीने तक के बच्चों को स्तन के दूध के माध्यम से आवश्यक मात्रा में विटामिन सी प्राप्त होता है। 6 महीने से अधिक उम्र के बच्चों के लिए, उनके आहार के माध्यम से विटामिन सी का सेवन बढ़ाया जा सकता है।
वयस्कों को दैनिक आधार पर लगभग 70 से 90 मिलीग्राम विटामिन सी की आवश्यकता होती है, जबकि शिशुओं को लगभग 40 मिलीग्राम की आवश्यकता होती है यद्यपि आप विटामिन सी की खुराक का विकल्प चुन सकते हैं |
लेकिन अपने आहार के माध्यम से स्वाभाविक रूप से इसका सेवन बढ़ाना बेहतर विकल्प है।
5. लहसुन
लहसुन में एलिसिन नामक एक यौगिक होता है जिसमें जीवाणुरोधी (anti-bacterial) गुण होते हैं। लहसुन के इन गुणों का उपयोग उन बैक्टीरिया का मुकाबला करने के लिए किया जा सकता है जो काली खांसी का कारण बनते हैं।
उपयोग की विधि
- लहसुन को पीसकर रस निकालें और रोजाना इसका सेवन करें।
- स्वाद के लिए आप इसमें शहद भी मिला सकते हैं। ऐसा दिन में 2-3 बार करें।
6. हल्दी
हल्दी में कर्क्यूमिन नामक एक यौगिक होता है जिसमें रोगाणुरोधी (antimicrobial) गुण होते हैं। हल्दी खांसी और सांस की तकलीफ का इलाज करने में मदद कर सकती है।
उपयोग की विधि
- एक गिलास गर्म दूध में एक चम्मच हल्दी अच्छी तरह मिलाएं।
- इसका ऐसा दिन में 2 बार रोजाना सेवन करें।
7. अदरक
अदरक एक प्राकृतिक expectorant है। अदरक में मजबूत जीवाणुरोधी (antimicrobial) गुण होते हैं। अदरक के ये गुण काली खांसी से निपटने में मदद कर सकते हैं।
उपयोग की विधि
- अदरक को पेस्ट बनाने के लिए मिक्स करें।
- कीमा बनाया हुआ अदरक से रस निकालें और इसका रोजाना सेवन करें।
- स्वाद के लिए आप इसमें शहद भी मिला सकते हैं।
- ऐसा दिन में 2 बार करें।
8. हरी चाय
ग्रीन टी में कैटेचिन (catechin) और पॉलीफेनोल (polyphenols) होते हैं जो मजबूत जीवाणुरोधी (anti-bacterial), एंटीवायरल (antiviral) और एंटीऑक्सीडेंट (antioxidant) गुणों के अधिकारी होते हैं। ये बैक्टीरिया को मारने में मदद कर सकते हैं जो काली खांसी का कारण बनते हैं।
उपयोग की विधि
- 5 से 10 मिनट के लिए एक कप गर्म पानी में ग्रीन टी की पत्तियों को डुबोएं।
- स्वाद के लिए शहद जोड़ें और ठंडी होने से पहले चाय का उपभोग करें।
- ऐसा दिन में 2-3 बार करें।
9. खारा पानी
कई अध्ययनों में पाया गया है कि नमक के पानी का उपयोग सर्दी और खांसी के लिए फायदेमंद है। इसलिए यह काली खांसी के इलाज में मदद कर सकता है।
उपयोग की विधि
- एक कप गर्म पानी में एक चम्मच नमक मिलाएं।
- इस पानी से गरारे करें।
- दिन में एक बार ऐसा करें।
10. शहद
शहद बच्चों में होने वाली खांसी के इलाज में सहायक होता है। इसलिए, यह खांसी के लक्षणों का इलाज करने में भी मदद कर सकता है।
उपयोग की विधि
- एक कप गर्म पानी में जैविक शहद मिलाएं और अच्छी तरह मिलाएं।
- इस मिश्रण का रोजाना सेवन करें।
- ऐसा दिन में 2-3 बार करें।
11. नींबू
नींबू विटामिन सी का एक समृद्ध स्रोत है और इसमें जीवाणुरोधी (anti-microbial) गुण होते हैं। ये गुण काली खांसी के इलाज में प्रभावी हो सकते हैं।
उपयोग की विधि
- एक गिलास पानी में आधा नींबू निचोड़ें।
- स्वाद के लिए शहद जोड़ें और दैनिक उपभोग करें।
- ऐसा दिन में 2-3 बार करें।
12. बादाम
बादाम की खाल में मौजूद पॉलीफेनोल्स (polyphenols) में जीवाणुरोधी (antibacterial) गुण होते हैं यह उन बैक्टीरिया से लड़ने में मदद कर सकता है जो काली खांसी का कारण बनते हैं।
उपयोग की विधि
- कुछ बादाम रातभर पानी में भिगो दें।
- अगली सुबह उन्हें मक्खन के साथ पीस लें। इस मिश्रण का सेवन करें।
- ऐसा दिन में 2-3 बार करें।
9. हूपिंग खांसी से संक्रमित व्यक्ति की स्थिति का संभाल कैसे करें ? How to care for a person infected with whooping Cough in Hindi ?
खूब आराम करो- एक शांत और शांत बेडरूम आपको बेहतर आराम करने में मदद कर सकता है।
अधिक मात्रा में तरल पदार्थ पीओ- पानी, जूस और सूप अच्छे विकल्प हैं। बच्चों में, विशेष रूप से, निर्जलीकरण (dehydration) के संकेत के लिए देखते हैं, जैसे कि शुष्क होंठ, बिना आँसू के रोना और लगातार पेशाब।
छोटा भोजन करें- खांसी के बाद उल्टी से बचने के लिए, बड़े की बजाय छोटे, अधिक-बार-बार भोजन करें।
हवा को साफ करें- अपने घर को धूल से मुक्त रखें, जिससे खाँसी के छींटे लग सकते हैं, जैसे कि तंबाकू का धुआँ और आग से धुँआ।
संचरण को रोकें- अपनी खांसी को कवर करें और अपने हाथों को अक्सर धोएं; यदि आप दूसरों के आस-पास हों, तो मास्क पहनें।
10. आपको डॉक्टर से मदद कब लेनी चाहिए ? When should you seek help from doctor in Hindi ?
डॉक्टर को बुलाएं यदि आपको लगता है कि आपके बच्चे को काली खांसी है या जो काली खांसी के साथ किसी के संपर्क में आया है, भले ही आपके बच्चे को पहले से ही सभी निर्धारित काली खांसी के टीकाकरण हो।
यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है अगर आपके बच्चे को लंबे समय तक खांसी होती है |
- खाँसी से आपके बच्चे की त्वचा या होंठ लाल, बैंगनी या नीले रंग की हो जाती है
- आपके बच्चे को खांसी के बाद उल्टी होती है
- खांसी के बाद एक काली आवाज है
- आपके बच्चे को सांस लेने में तकलीफ है या लगता है कि उसे सांस नहीं आ रही है(एपनिया)
- आपका बच्चा बहुत सुस्त लगता है
- यदि आपके बच्चे को काली खांसी का पता चला है और घर पर इलाज किया जा रहा है, तो तत्काल चिकित्सा सुविधा प्राप्त करें यदि उसे साँस लेने में कठिनाई हो या निर्जलीकरण (dehydration) के लक्षण दिखाई दें।
11. निष्कर्ष –Conclusion
Coughing fits due to whooping cough can last up to 10 weeks or even more। This disease is also known as the “100-day cough.”
Don’t take this disease as a joke !
2012 में काली खांसी के 48,277 मामले सामने आए थे और तब से अब तक के मामलों में कोई कमी नहीं आयी है ना ही आंकड़ें में कोई ज़्यादा सुधार आया है। तब से, काली खांसी ने वापसी की है जिनके कारण अभी भी पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हैं।
व्हूपिंग कफ के तथ्य, झूठ और डर को अलग रखें !
Prevention is better than cure!
रोकथाम सबसे अच्छी दवा है। एक परिचित कहावत जो सच भी है के तथ्यों को अनदेखा करना या उन्हें न जानना, बीमारी को और फैला सकता है। हाल ही में, काली खांसी, जिसे पर्टुसिस के रूप में भी जाना जाता है, अपने समुदायों और समाचारों में वापस आ गया है।
यह एक व्यक्ति के फेफड़ों और सांस लेने की क्षमता को प्रभावित करता है। इसका अजीब सा नाम व्हूप जैसी ध्वनि से आता है, जो हिंसक खांसी के बीच सांस लेते हैं पैदा होती है।
काली खांसी धमाके के साथ हाल ही में वापस खबरों में आया और यह सोचने के बजाय कि यह क्या है और आपको काली खांसी हों का खतरा नहीं है क्यूंकि यह तो बच्चो में होता है, तो बस दो बार सोचें।
चूँकि आपने हमारा अभी तक साथ दिया है – आप अब जान गए होंगे कि यह काली खांसी क्या है और हमारी रसोई में जड़ी-बूटियाँ कितनी उपयोगी हैं इस बीमारी को जड़ से उखाड़ फेकने के लिए।
जो इससे पीड़ित हैं वही इसकी मुश्किलों को सहज तरीके से समझ सकता है।
अंत में काली खांसी उन बीमारियों में से एक है जो ऐसा लगता है कि इसे बहुत पहले मिट गयी थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। और यह बहुत डरावना है। लेकिन, वैक्सीन के साथ, बीमारी को रोकने के लिए प्राकृतिक तरीके भी हैं।
अब आप जानते हैं कि हम क्या सलाह देते हैं। और सुनिश्चित करें कि आपके परिवार में हर कोई, जिसमें आप भी शामिल हैं, इस बीमारी से बचाव और सुरक्षित रहने के लिए टीका और बूस्टर लगवा लें और हमारे घरेलु नुस्खे अपना लें !
आप अपने प्यारे बच्चे को प्यारा सा चेहरा बनाते हुए यह कहते हुए नहीं सुनना चाहेंगे कि – “क्यों माँ ? आपने मुझे काली खांसी के खिलाफ टीका क्यों नहीं लगाया है ?” इसीलिए समय समय से काली खांसी के वैक्सीन का टिक्का लगवा लिजियेगा।
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